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Thursday, January 5, 2012

!! जय हो मेरे ठाकुर श्री बांके बिहारी लाल !!


हे! मेरे बांके बिहारी
                       आप तो सरताज हो सभी को सुख, खुशियाँ देने वाले हो. कोई बस एक बार आपको प्रेम से पुकारे तो सही. आपसे नजरें तो मिलाये. प्रभु आपके नेत्र तो बड़े विशाल हैं आपको कोई एक बार देखले तो उसको आप अपनी आँखों में बसा लेते हो |

"जरा तारों से तारे मिलकर तो देख जरा मोहन से नैना मिला के तो देख प्रभु खिंचे हुए बंधे हुए चले आयेंगे."

                            एक बार कि बात है एक बहुत प्रसिद्द शायर थे उनका नाम था नजीर अकबरावादी ! आगरा के रहने वाले थे नजीर शाब कि पारिवारिक स्थिति कुछ ठीक नही थी. एक टूटे से झोपड़ी में रहते थे. बो ताजमहल से बहुत प्यार करते थे उनको ताजमहल से इतना प्यार हो गया था कि बिना ताजमहल के बो एक पल भी नही रह सकते थे और उनकी झोपड़ी भी ऐसे स्थान पर बनी हुयी थी जहाँ से ताज महल साफ़ दिखायी देता था| उनकी शायरी दूर-दूर तक फ़ैल गयी थी हैदराबाद के नबाब को जब पता लगा के आगरा में एक ऐसे शायर रहते हैं जो बहुत अच्छी शायरी करते हैं तो उन्होंने दो नौकर भेजे क जाओ और नजीर शाब को हमारे यहाँ ले आओ हम उन्हें अपने दरवार में रखेंगे और कहा कि बो कैसे भी आयें लेकर ही आना.

                                 भैया नबाब के नौकर खोजते-२ नजीर कि झोपड़ी पे आये और बोले कि आप हमारे साथ हैदराबाद चलो हमारे नबाब ने आपको याद किया है सुना है आप बहुत अच्छी शायरी करते हैं, तो देखिये नजीर का प्यार बो बड़ा ही बेतुका सवाल कर बैठे कि "भैया मैं चलने को तो तैयार हूँ लेकिन क्या वहां से ताजमहल दिखेगा?" अब नौकरों से तो लाने के लिए कहा गया था कि नजीर को लेके ही आना तो उन्होंने बोल दिया कि हाँ वहां से ताजमहल से ताजमहल दिखेगा. तो उन्हें जब हाथी पे बिठा कर ले जाने लगे तो नजीर का ताजमहल के प्रति प्यार देखिये सब लोग आगे मुह करके बैठते हैं बो उल्टा बैठे क्यों कि जाऊँगा तो कम से कम ताज महल को तो देखता जाऊँगा अभी आगरा से ही नही निकले थे कुछ दूर चलकर बोले भैया आ गया हैदराबाद? बोले कितनी दूर और है मेरा तो ताजमहल छोटा होता जा रहा है बहुत दूर निकल गए जब ताजमहल दिखना बंद हो गया तो बोले रुक जाओ अब आपका हैदराबाद आये या ना आये मैं अब एक कदम भी आगे नही जा सकता और नहीं गये वापस आगरा लौट आये.


                               बंधुओ ! ये सत्य घटना है और इसका एक ही मतलब है कि जब कोई इंसान कि बनायीं हुयी इमारत से इतना प्रेम कर सकता है कि बो उसके बिना एक पल भी नही रह सकता तो क्या हम उस शाहों के शाह जिन्होंने हम सब को बनाया है उसे प्रेम नही कर सकते क्या? भैया एक बार उनसे मोहब्बत करके तो देखो तो कुछ नही है इस संसार मैं बस वही एक सच्चा है. संसार में किसी से प्रेम मत करो..



"मत रीझना ऊपर कि सफाई पर ये तो सोने का वर्क लगा है मिटटी की मिठाई पर" ||

!! जय श्री राधे !! जय श्री कृष्णा !!

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